Poem by prashant shukla

अरे तूने कहा बस रहने दे,मैंने हिजर की रातें काटी है।
मै खुद अंदर से टूट गया, मैंने फिर भी खुशियां बांटी है।
बस एक दुआ मेरी रब से, तेरे चेहरे की रंगत बढ़ती रहे।
तेरी ज़िन्दगी में कोई ग़म न हो, तू खुशियों की सीढ़ी चड़ते रहे।
तुझे कभी न हो ये पछतावा, हम दूर हुए तो किसने किए।
तुझे याद अगर मेरी आए, तो हस देना तू बस मेरे लिए।
तेरे ख्वाबों में को जाऊं,तुझे याद करूं और सो जाऊं।
इतना सा चाहता है दिल मेरा।

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