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स्त्री का सम्मान करें 🙏

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जो लोग स्त्रियों का अपमान करते है, और यह सोचते है कि स्त्री कम है या छोटी है तथा उनकी क्षमता को कम आंकते है तो वह महा मूर्ख है, इस ब्रम्हांड में कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ जो स्त्री से पैदा ना हुआ हो, चाहे राम को देख लो चाहे कृष्ण को। और कोई स्त्री से नफ़रत से करता है तो उसकी निश्चित ही दुर्गति होगी, वह जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता और वह कभी भी ईश्वर के तत्व को नहीं जान सकता क्युकी स्त्री के रूप में वही भगवत तत्व ही है। और अगर स्त्री की क्षमता देखनी है तो सावित्री को देख लो, ऐसा कोई महात्मा पैदा नहीं हुआ जो धर्मराज की खोपड़ी को बदल सके, लेकिन उस पतिव्रता सावित्री ने धर्मराज को हिला के रख दिया तथा अपने पति के प्राण वापस ले लिए। और देखना है तो सती अनसुईया को देख लो, ऐसा कोई साधु संत, वैरागी पैदा नहीं हुआ जो त्रिदेव को साध ले लेकिन उस देवी ने ब्रम्हा विष्णु महेश को 6-6 महीने के बालक बना के पालने में झुला दिया, कोई ऐसा नहीं कह सकता कि स्त्री निंदनीय है या छोटी है, यदि नारी को कोई साधारण समझे तो वह महा मूर्ख है, क्युकी नारी जैसी महा शक्ति ब्रम्हांड में नहीं है, यदि कोई नारी को निंद...

प्रेम क्या है? हम किसी स्त्री से प्रेम क्यों करते हैं? What Is Love.

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प्रेम क्या है? हम  किसी स्त्री से प्रेम क्यों करते हैं? स्त्री-पुरुष के मध्य जो आकर्षण होता है, उसका क्या कारण है? स्त्रियों के प्रति जो सकारात्मक या नकारात्मक विचार आते हैं, उनका कारण क्या है? मेरा तर्क:                 अगर प्रेम तुम करते तुम बताओ न। कोई अज्ञात बात होती, तो मैं बताता। जो तुम कर रहे हो, वो तो तुम ही बताओगे न कि क्यों कर आए। मुझे क्या पता। और ऐसा भी नहीं कह रहे तुम कि, एक बार ऐसा क्यों हो गया। तुम कह रहे हो, “हम ऐसा क्यों करते हैं?” इसका मतलब बारम्बार हो रहा है, होता ही जा रहा है। तो तुम बताओ कि ये हो क्या रहा है। मुझे क्या पता। जो कुछ होता है तुम्हारे साथ, उसकी ख़बर लेते हो कि – “ये क्या हो गया?” या फ़िर फिसल जाते हो बस कि – “बस हो गया।” चलो हो गया। फ़िर? “अरे फ़िर से हो गया।” फ़िर? “अरे फ़िर से हो गया।” होता ही जा रहा है। जितनी देर में खड़े होते हो कि हाथ बढ़ाएँ कि न फिसलो अब, तुम फ़िर गिर गए। और हाथ यहाँ जा रहा है, तुम नीचे ज़मीन पर हो, फ़िर  फिसल गए। इतना भी अचानक नहीं हो जाता, सोचा-समझा निर्णय होता है। माना कि ...

झूठे और सच्चे सहारे।

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'झूठे सहारों' की यही पहचान है वह तुम्हें और पंगु और दुर्बल कर देते हैं, वह तुम्हारे लिए और आवश्यक कर देते हैं कि तुम सहारों पर ही आश्रित रहो। 'सच्चे सहारे' की यह पहचान है कि वह तुम्हें संभालता है और धीरे-धीरे अपने आप को अनावश्यक बना देता है। वह तुम्हें कभी अपनी लत नहीं लगने देगा। हालांकि तुम यही चाहोगे कि तुम उसको भी पकड़ लो, भींच लो क्योंकि सहारा तो मीठी चीज़ होता है ना? ज़िम्मेदारी से बचाता है वह तुमको। तो अपनी तरफ से तो तुम यही चाहोगे कि जो सच्चा सहारा है तुम उसको पकड़ ही लो। पर 'सच्चे सहारे' का गुण यही है  कि तुम कितना भी चाहो वह तुम्हारा अहित नहीं होने देगा और तुम्हारा अहित इसी में होता है कि तुम्हें सहारे की लत लग जाए।            Author: Shiv Facebook

हर एक रांझे को मिल जाय,जो उसकी हीर होली में।

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हर एक रांझे को मिल जाय,जो उसकी हीर होली में। चटक रंगों में घुल जाए,तो दिल की पीर होली में।। हमारे दिल की दिल्ली में, जो राजस्थान सुलगा है। उसे छू कर लबो से तुम, करो कश्मीर होली में।। थिरक उठे जमाना भूल कर, खुद आप होली में। दिलों में प्यार की ऐसी बजे, एक थाप होली में। जो पिछले साल भर से, इस सियासत ने हमे सौंपे। जला डाले कलुश सारे अपने पाप होली में। वो सब बेरंग है जो ढूढते है व्यापार होली में। विजेता है जिन्हे स्वीकार है हर हार होली में। मैं मंदिर से निकाल आऊं, तू मस्जिद से निकाल आना। तो मिलकर हम लगाएंगे, गुलाल ए प्यार होली में। विजित हो ईर्ष्या की अनबुझी हर जंग होली में। मोहब्बत की पिए हम संग मिलकर भंग होली में। मेरे ईश्वर मेरे अल्लाह हिंदुस्तान पे चढ़ जाए। भगत सिंह का दुलारा बसंती रंग होली में।               Author: Kumar Vishwas FB Instagram

बेपरवाह जियो और बुलन्द जियो।😍

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बेपरवाह जियो और बुलन्द जियो। ज़िन्दगी कमीनी है, किसी को नहीं छोड़ती। इसलिए मुस्कुराओ! सुख आदि झूठी बातें, ढ़कोसला, यहाँ सुख किसको मिलना है? इसलिए मुस्कुराओ! ये ऐसी लड़ाई है जिसमें पिटोगे भी और मारे भी जाओगे। निश्चित है नतीजा। इसलिए मुस्कुराओ! यहाँ से कोई ज़िंदा बाहर नहीं जाने वाला इसलिए मुस्कुराओ! सामने जो खड़ा है उसने बड़ा अन्याय किया है। उसने शरीर में ही हमारे दुश्मन बैठा दिए हैं। इसलिए मुस्कुराओ! उसको बोलो, तेरे अन्याय का एक ही जवाब है मेरे पास। क्या? मेरी मुस्कुराहट। तू जीत के भी नहीं जीतेगा। तूने बंदोबस्त तो पूरा कर दिया था कि मैं दुःख में रहूँ, रोता रहूँ। भीतर भी माया। बाहर भी माया। भीतर वृत्तियों का पसार। बाहर मायावी संसार। तूने तो पक्का प्रबंध ही कर दिया था कि मैं रोता ही रहूँ। लेकिन मैं मुस्कुराउंगा। मुस्कुराने की मेरे पास कोई भी वजह नहीं है। दुःख ही दुःख है। लेकिन मैं मुस्कुराउंगा! कोई वजह नहीं है, इसलिए मुस्कुराउंगा!     Author: Shiv Connect With Facebook ➖➖➖➖➖➖➖

Kahi Andhera Kahi Ujala

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Kahi Andhera Kahi Ujala Kahi andhera, Kahi ujala, Kabhi pyara, Toh kabhi nagawara. Kabhi chalte, Kabhi phisalte, Kabhi jeeta, Toh Kabhi hara, Kabhi khushiya, Kabhi Gam, Kabhi milna, Toh Kabhi bichdna. Kisi ki mohobaat, Kisi ka fasana, Kisi ka hasna, Kisi ka rulana. Jindagi hamesha hai, Kabhi andhera, Toh kabhi ujaala. Follow me on FB

उसके चेहरे पे, सदा मेरी वजह

उसके चेहरे पे,  सदा मेरी वजह से मुस्कान रहे, ए खुदा, तू चाहे जितने भी गम दे दे मुझे बस इतनी रहमत कर की इस बात का मुझे हमेशा ध्यान रहे