हर एक रांझे को मिल जाय,जो उसकी हीर होली में।

हर एक रांझे को मिल जाय,जो उसकी हीर होली में।
चटक रंगों में घुल जाए,तो दिल की पीर होली में।।
हमारे दिल की दिल्ली में, जो राजस्थान सुलगा है।
उसे छू कर लबो से तुम, करो कश्मीर होली में।।
थिरक उठे जमाना भूल कर, खुद आप होली में।
दिलों में प्यार की ऐसी बजे, एक थाप होली में।
जो पिछले साल भर से, इस सियासत ने हमे सौंपे।
जला डाले कलुश सारे अपने पाप होली में।
वो सब बेरंग है जो ढूढते है व्यापार होली में।
विजेता है जिन्हे स्वीकार है हर हार होली में।
मैं मंदिर से निकाल आऊं, तू मस्जिद से निकाल आना।
तो मिलकर हम लगाएंगे, गुलाल ए प्यार होली में।
विजित हो ईर्ष्या की अनबुझी हर जंग होली में।
मोहब्बत की पिए हम संग मिलकर भंग होली में।
मेरे ईश्वर मेरे अल्लाह हिंदुस्तान पे चढ़ जाए।
भगत सिंह का दुलारा बसंती रंग होली में।

              Author: Kumar Vishwas

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