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झूठे और सच्चे सहारे।

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'झूठे सहारों' की यही पहचान है वह तुम्हें और पंगु और दुर्बल कर देते हैं, वह तुम्हारे लिए और आवश्यक कर देते हैं कि तुम सहारों पर ही आश्रित रहो। 'सच्चे सहारे' की यह पहचान है कि वह तुम्हें संभालता है और धीरे-धीरे अपने आप को अनावश्यक बना देता है। वह तुम्हें कभी अपनी लत नहीं लगने देगा। हालांकि तुम यही चाहोगे कि तुम उसको भी पकड़ लो, भींच लो क्योंकि सहारा तो मीठी चीज़ होता है ना? ज़िम्मेदारी से बचाता है वह तुमको। तो अपनी तरफ से तो तुम यही चाहोगे कि जो सच्चा सहारा है तुम उसको पकड़ ही लो। पर 'सच्चे सहारे' का गुण यही है  कि तुम कितना भी चाहो वह तुम्हारा अहित नहीं होने देगा और तुम्हारा अहित इसी में होता है कि तुम्हें सहारे की लत लग जाए।            Author: Shiv Facebook

हर एक रांझे को मिल जाय,जो उसकी हीर होली में।

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हर एक रांझे को मिल जाय,जो उसकी हीर होली में। चटक रंगों में घुल जाए,तो दिल की पीर होली में।। हमारे दिल की दिल्ली में, जो राजस्थान सुलगा है। उसे छू कर लबो से तुम, करो कश्मीर होली में।। थिरक उठे जमाना भूल कर, खुद आप होली में। दिलों में प्यार की ऐसी बजे, एक थाप होली में। जो पिछले साल भर से, इस सियासत ने हमे सौंपे। जला डाले कलुश सारे अपने पाप होली में। वो सब बेरंग है जो ढूढते है व्यापार होली में। विजेता है जिन्हे स्वीकार है हर हार होली में। मैं मंदिर से निकाल आऊं, तू मस्जिद से निकाल आना। तो मिलकर हम लगाएंगे, गुलाल ए प्यार होली में। विजित हो ईर्ष्या की अनबुझी हर जंग होली में। मोहब्बत की पिए हम संग मिलकर भंग होली में। मेरे ईश्वर मेरे अल्लाह हिंदुस्तान पे चढ़ जाए। भगत सिंह का दुलारा बसंती रंग होली में।               Author: Kumar Vishwas FB Instagram

बेपरवाह जियो और बुलन्द जियो।😍

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बेपरवाह जियो और बुलन्द जियो। ज़िन्दगी कमीनी है, किसी को नहीं छोड़ती। इसलिए मुस्कुराओ! सुख आदि झूठी बातें, ढ़कोसला, यहाँ सुख किसको मिलना है? इसलिए मुस्कुराओ! ये ऐसी लड़ाई है जिसमें पिटोगे भी और मारे भी जाओगे। निश्चित है नतीजा। इसलिए मुस्कुराओ! यहाँ से कोई ज़िंदा बाहर नहीं जाने वाला इसलिए मुस्कुराओ! सामने जो खड़ा है उसने बड़ा अन्याय किया है। उसने शरीर में ही हमारे दुश्मन बैठा दिए हैं। इसलिए मुस्कुराओ! उसको बोलो, तेरे अन्याय का एक ही जवाब है मेरे पास। क्या? मेरी मुस्कुराहट। तू जीत के भी नहीं जीतेगा। तूने बंदोबस्त तो पूरा कर दिया था कि मैं दुःख में रहूँ, रोता रहूँ। भीतर भी माया। बाहर भी माया। भीतर वृत्तियों का पसार। बाहर मायावी संसार। तूने तो पक्का प्रबंध ही कर दिया था कि मैं रोता ही रहूँ। लेकिन मैं मुस्कुराउंगा। मुस्कुराने की मेरे पास कोई भी वजह नहीं है। दुःख ही दुःख है। लेकिन मैं मुस्कुराउंगा! कोई वजह नहीं है, इसलिए मुस्कुराउंगा!     Author: Shiv Connect With Facebook ➖➖➖➖➖➖➖