प्रेम क्या है? प्रेम का अर्थ क्या है?
प्रेम का मतलब यह नहीं है कि, तुम मुझे खुश रखो और मैं तुम्हें। प्रेम मुक्ति है,खुशी नहीं,खुशी तो हमें बंधनों से ही मिलती है। फिर हम बंधनों में हैं ही क्यों? जिससे प्रेम होता है उसके विषय में सुख दुख का आयाम नहीं सोचा जाता है। न यह सोचा जाता की इसे सुख दूं,न यह सोचा जाता कि इसे दुख दूं। उसके लिए मन में एक ही विचार रहना चाहिए, कि इसे सच्चाई कैसे दूं? #लग_भग_महामंडलेश्वर_श्री_श्री_1008_महात्माश्री_किम_जोन_शुक्ला_जी_महाराज_मुरादगंज_वाले Author: Shiv Facebook